Madhu Arora

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अनोखी किस्मत

अनोखी किस्मत  भाग5
अभी तक आपने पढा ,
राधिका और जसपाल की सगाई की तैयारी चल रही है, जसपाल राधिका से पूछ रहा है, कि वह उससे प्यार करती है या नहीं राधिका को एक पत्र लिखने के लिए बोलता है।
सुबह राधिका एक पत्र में हाँ लिख कर जसपाल को देती है जसपाल की तो खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता। उसने राधिका ने लिखा था मैं भी तुमसे प्यार करती हूं।

 दोनों की साधारण ढंग से गांव के कुछ लोगों को बुलाकर सगाई हो जाती है।
 
धीरे-धीरे समय बीतता है। जसपाल की छुट्टियां समाप्त होने लगती है और उसके जाने का समय निकट आ जाता है।
जसपाल को राधिका भारी मन से विदा करती हैं किस तरह छुट्टियां बीत गई दोनों को पता नहीं चला।

 जसपाल  फिर वापस चला गया इधर  राधिका उसके आने का फिर से बेसब्री से इंतजार करने लगी । इंतजार की घड़ियां समाप्त   हुईं जसपाल दोबारा छुट्टी लेकर गांव आया। मोहनलाल और हरपाल ने मोहनलाल और हरपाल ने उन दोनों की शादी धूम धाम से कर दी।

दोनों परिणय सूत्र की डोरी में बंद हो गया दोनों एक दूसरे का साथ पाकर बहुत खुश थे। जसपाल तो उसकी हर अदा का दीवाना था।

वाह क्या बात है जब दिल से दिल मिलते हैं तो कुदरत भी साथ देती है राधिका को सोलह सिंगार मैं सजे देखकर अचानक से जसपाल ने चंद लाइने गुनगुनाने शुरू कर दी।

"हुस्न से चांद भी शरमाया है,
तेरी सूरत ने गजब ढाया है।
प्यार में डूबी हुई आंखों की कसम
आदमी क्या फरिश्तों के भी,
 बहक जाए कदम,
बिना पिए नशा छाया है,
हुस्न से चांद भी शरमाया।

जसपाल और राधिका कोमल घास की नरमी में बैठे स्पर्श का सुखद अनुभव कर रहे है जसपाल ने राधिका के मुखड़े को देखा,।

 आँखे बंद दम कता हुआ चेहरा होठों पर मुस्कान बिखरी हुई जुल्फे मादक आकर्षण उत्पन्न कर रहे हैं।
 
अचानक से झिझकते हुए वह शायराना अंदाज में बोली
ऐसे क्या देख रहे हैं जनाब।


"मेरी बिंदिया तेरी निंदिया ना उड़ा दे तो कहना,
मेरा काजल तुझे पागल ना बना दे तो कहना।
खन खन करें जब मेरे कंगना धड़के दिल तेरा सजना,
मेरे झुमके तेरे ठुमके न चुरा ले तो कहना"।

ऐसा रोमांटिक गीत और मनमोहक वातावरण ने दोनों को भावनात्मक मिलन की ओर अग्रसर कर दिया।
भावुकता से राधिका के माथे पर होंठों का स्पर्श हुआ।
राधिका सिमटकर मेरी बाहों में आ गई।

धीरे-धीरे पता नहीं कब 1 माह बीत गया उधर हरपाल भी राधिका को देखकर बहुत खुश रहता था मानो उसके सूने आंगन को मोहब्बत का परिंदा मिल गया। 

जब  वह जसपाल और राधिका को साथ देखता दोनों को मन ही मन ढेरो आशीर्वाद देता।

धीरे-धीरे जसपाल की छुट्टियां खत्म होने लगी और उसका फौज पर जाने का समय आ गया।

सही कहा है अच्छा समय पता नहीं कब पंख लगा कर उड़
 जाता है।

 भारी मन से राधिका ने जसपाल को विदा किया।अब इसको एक एक पल भारी लग रहा था।
 
 और हर समय अब उसके आने की प्रतीक्षा करने लगी लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था देखिए अब आगे क्या होता है ।
 मुझे आपकी मूल्यवान समीक्षाओं की प्रतीक्षा रहेगी।
 कृपया मेरा हौसला बढ़ाए 
 धन्यवाद जी 🙏💐
 
  

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3 Comments

Natasha

14-May-2023 07:37 AM

So sad

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Gunjan Kamal

28-Apr-2023 10:31 AM

👌👏🙏🏻

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अदिति झा

27-Apr-2023 02:32 PM

Nice one

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